अपादान कारक :
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से दूर होने, निकलने, डरने, रक्षा करने, विद्या सीखने, तुलना करने का भाव प्रकट होता है उसे अपादान कारक कहते हैं। इसका चिह्न ‘से‘ है; जैसे-
- मैं अल्मोड़ा से आया हूँ।
- मैं जोशी जी से आशुलिपि सीखता हूँ।
- आपने मुझे हानि से बचाया।
- अंकित ममता से छोटा है।
- हिरन शेर से डरता है।
सम्बन्ध कारक :
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी अन्य शब्द के साथ सम्बन्ध या लगाव प्रतीत हो उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं। सम्बन्ध कारक में विभक्ति सदैव लगाई जाती है। इसके प्रयोग के नियम निम्नलिखित हैं-
(क) एक संज्ञा या सर्वनाम का, दूसरी संज्ञा या सर्वनाम से सम्बन्ध प्रदर्शित करने के लिए सम्बन्ध कारक का प्रयोग होता है; जैसे-
- अनीता सुरेश की बहन है।
- अनिल अजय का भाई है।
- सुरेन्द्र वीरेन्द्र का मित्र है।
(ख) स्वामित्व या अधिकार प्रकट करने के लिए सम्बन्ध कारक का प्रयोग होता है; जैसे-
- आप किस की आज्ञा से आए हैं।
- नेताजी का लड़का बदमाश है।
- यह उमेश की कलम है।
(ग) कर्तृत्व प्रकट करने के लिए सम्बन्ध कारक का प्रयोग होता है। जैसे—
- प्रेमचन्द के उपन्यास
- शिवानी की कहानियाँ
- मैथिलीशरण गुप्त का साकेत
- कबीरदास के दोहे इत्यादि।
(घ) परिमाण प्रकट करने के लिए भी सम्बन्ध कारक का प्रयोग होता है; जैसे-पाँच मीटर की पहाड़ी, चार पदों की कविता आदि।
(ङ) मोलभाव प्रकट करने के लिए भी सम्बन्ध कारक का प्रयोग होता है; जैसे-दस रुपए का प्याज, बीस रुपए के आलू, पचास हजार की मोटर साइकिल आदि।
(च) निर्माण का साधन प्रदर्शित करने के लिए भी सम्बन्ध कारक का प्रयोग होता है; जैसे-ईंटों का मकान, चमड़े का जूता, सोने की अंगूठी आदि।
(छ) सर्वनाम की स्थिति में सम्बन्ध कारक का रूप ‘रा‘ रे ‘री‘ हो जाता है; जैसे-मेरी पुस्तक, तुम्हारा पत्र, मेरे दोस्त आदि।
अधिकरण कारक :
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया का आधार सूचित होता है उसे अधिकरण कारक कहते हैं, इसके परिसर्ग ‘में‘ ‘पर‘ हैं, अधिकरण कारक के प्रयोग के नियम निम्नलिखित हैं-
(क) स्थान, समय, भीतर या सीमा का बोध कराने के लिए अधिकरण कारक का प्रयोग होता है; जैसे-
- उमेश लखनऊ में पढ़ता है।
- पुस्तक मेज पर है।
- उसके हाथ में कलम है।
- ठीक समय पर आ जाना।
- वह तीन दिन में आएगा।
(ख) तुलना, मूल्य और अन्तर का बोध कराने के लिए अधिकरण कारक का प्रयोग होता है; जैसे-
- कमल सभी फूलों में सुन्दरतम् है।
- यह कलम पाँच रुपए में मिलता है।
- कुछ सांसद चार करोड़ में बिक गए।
- गरीब और अमीर में बहुत अन्तर है।
(ग) निर्धारण और निमित्त प्रकट करने के लिए अधिकरण कारक का प्रयोग होता है; जैसे-
- छोटी-सी बात पर मत लड़ो।
- सारा दिन ताश खेलने में बीत गया।
सम्बोधन कारक :
संज्ञा के जिस रूप से किसी को पुकारने, चेतावनी देने या सम्बोधित करने का बोध होता है उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। सम्बोधन कारक की कोई विभक्ति नहीं होती है। इसे प्रकट करने के लिए ‘हे’,’अरे‘,’अजी‘, ‘रे‘ आदि शब्दों का प्रयोग होता है; जैसे-
- हे राम! रक्षा करो।
- अरे मूर्ख! सँभल जा।
- हे लड़कों! खेलना बन्द करो।
करण और अपादान में अन्तर : करण और अपादान दोनों कारको में ‘से‘ चिह्न का प्रयोग होता है किन्तु इन दोनों में मूलभूत अंतर है। करण क्रिया का साधन या उपकरण है। कर्ता कार्य सम्पन्न करने के लिए जिस उपकरण या साधन का प्रयोग करता है, उसे करण कहते हैं। \
जैसे- मैं कलम से लिखता हूँ।
यहाँ कलम लिखने का उपकरण है अतः कलम शब्द का प्रयोग करण कारक में हुआ है।
अपादान में अपाय (अलगाव) का भाव निहित है।
जैसे-पेड़ से पत्ता गिरा।
अपादान कारक पेड़ में है, पत्ते में नहीं। जो अलग हुआ है। उसमें अपादान कारक नहीं माना जाता अपितु जहाँ से अलग हुआ अपादान कारक होता है। पेड़ तो अपनी जगह स्थिर है, पत्ता अलग हो गया अतः ध्रुव (स्थिर) वस्त में अपादान होगा। एक अन्य उदाहरण-वह गाँव से चला आया। यहाँ गाँव में अपादान कारक है।
कारकों की पहचान : कारकों की पहचान कारक चिह्नों से की जाती है। कोई शब्द किस कारक में प्रयुक्त है, यह वाक्य के अर्थ पर भी निर्भर है। सामान्यतः कारक निम्न प्रकार पहचाने जाते हैं –
कर्ता | क्रिया को सम्पन्न करने वाला। |
कर्म | क्रिया से प्रभावित होने वाला |
करण | क्रिया का साधन या उपकरण |
सम्प्रदान | जिसके लिए कोई क्रिया सम्पन्न की जाय । |
अपादान | जहाँ अलगाव हो वहाँ ध्रुव या स्थिर में अपादान होता है। |
संबंध | जहाँ दो पदों का पारस्परिक संबंध बताया जाए। |
अधिकरण | जो क्रिया के आधार (स्थान, समय, अवसर) आदि का बोध कराये। |
सम्बोधन | किसी को पुकार कर सम्बोधित किया जाय |
वाक्य में कारक संबंधी अनेक अशुद्धियां होती हैं। इनका निराकरण करके वाक्य को शुद्ध बनाया जाता है। जैसे-
अशुद्ध वाक्य | शुद्ध वाक्य |
तेरे को कहां जाना है ? | तुझे कहाँ जाना है ? |
वह घोड़े के ऊपर बैठा है। | वह घोड़े पर बैठा है। |
रोगी से दाल खाई गई। | रोगी के द्वारा दाल खाई गई। |
मैं कलम के साथ लिखता हूं। | मैं कलम से लिखता हूं। |
मुझे कहा गया था। | मुझसे कहा गया था। |
लड़का मिठाई को रोता है। | लड़का मिठाई के लिए रोता है। |
इस किताब के अन्दर बहुत कुछ है। | इस किताब में बहुत कुछ है। |
मैंने आज पटना जाना है। | मुझे आज पटना जाना है। |
तेरे को मेरे से क्या लेना-देना ? | तुझे मुझसे क्या लेना-देना ? |
उसे कह दो कि भाग जाय। | उससे कह दो कि भाग जाय। |
सीता से जाकर के कह देना। | सीता से जाकर कह देना । |
तुम्हारे से कोई काम नहीं हो सकता । | तुमसे कोई काम नहीं हो सकता । |
मैं पत्र लिखने को बैठा। | मैं पत्र लिखने के लिए बैठा। |
मैंने राम को यह बात कह दी थी। | मैंने रामसे यह बात कह दी थी। |
इन दोनों घरों में एक दीवार है। | इन दोनों घरों के बीच एक दीवार है। |
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