राजकीय पर्यवेक्षक / Rajkiya Paryavekshak 2017 पोस्ट कोड – 066 Paper

निर्देश (प्रश्न संख्या 61 से 69): निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए एवं नीचे दिये गये प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए।

कोई सौ वर्ष पुरानी बात है। दक्षिण भारत में तमिलनाडु के तिरुवेण्णैनल्लूर नामक गाँव में एक धनी किसान शडैयप्पर रहते थे। एक दिन जब शडैयप्पर अपने घर से बाहर निकल रहे थे तो उन्होंने द्वार पर एक दीन-हीन बालक को खड़े पाया। शडैयप्पर स्वभाव से दयालु और दानी प्रवृति के थे। उनसे उस असहाय, निराश्रित बालक को छोडते न बना और वे उसका हाथ पकड़कर उसे भीतर ले गए। शडैयप्पर को क्या मालूम था कि जिस बालक को वे आश्रय देने जा रहे हैं, वह एक दिन कंबन के नाम से तमिल के साहित्याकाश में सूर्य बनकर चमकेगा और आने वाले कवियों, विद्वानों और जनसाधारण सभी द्वारा कवि चक्रवर्ती के रूप में सराहा जाएगा।

कंबन के जन्म और जीवन के बारे में कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं मिलती है। लगता है कि अन्य प्राचीन कवियों की भाँति कंबन में भी आत्मगोपन की प्रवृत्ति थी जिसके कारण उनके बारे में निश्चित जानकारी का अभाव-सा है। किन्तु उसके संबंध में किंवदंतियों की तो भरमार है। लगता है जनसाधारण के उनके प्रति सम्मान, प्रेम और लगाव दर्शाते हुए अपनी कल्पना के सहारे उनके बारे में अनेकानेक आख्यान रच डाले।

ऐसा ही एक आख्यान है कि छोटी उम्र में बाजरे की खेती की रखवाली करने के कारण उनका नाम कंबन पड़ा ! तमिल भाषा में बाजरे के लिए ‘कंबु’ शब्द प्रचलित है। एक अन्य किंवदंती के अनुसार, कंबन काली माता के मंदिर में एक खंभे के पास मिले थे, जिसके कारण उनका नाम कंबन पड़ गया। एक अन्य मान्यता यह भी है कि उनका जन्म कांची नगरी में स्थित एकंब शिव की मूर्ति की उपासना करने वाले परिवार में हुआ था। इससे उनका नाम कंबन रखा गया।

कंबन के जीव-काल के विषय में भी अलग-अलग मत हैं। कुछ विद्वान उन्हें नौवीं सदी का कवि मानते हैं, तो कुछ बारहवीं सदी का। कुछ के मतानुसार वे तेरहवीं सदी के थे। किंतु विभिन्न किंवदंतियों और मतों के बावजूद विद्वान इस संबंध में एकमत हैं कि कंबन को बचपन से ही शडैयप्पर का आश्रय और संरक्षण मिला था। उनकी ही देखरेख में कंबन का पालन-पोषण हुआ था। कंबन का विद्या-प्रेम देखकर उन्होने अपने पुत्रों के साथ ही उनकी शिक्षा की व्यवस्था की थी।

उनमें काव्यात्मक प्रतिभा भी थी। वे छोटी उम्र से ही कविता करने लगे थे। उनकी काव्य-प्रतिभा से प्रभावित होकर शडैयप्पर उन्हे अपने बराबर आसान देकर बिठाने लगे और उन्हें अपने साथ चोलराज कुलोत्तुंगन द्वितीय के दरबार में भी ले जाने लगे। एक बार चोलराज उनकी कविता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें अपना दरबारी कवि बना लिया। ऐसा कहा जाता है कि इनकी काव्य-प्रतिभा से अभीभूत होकर ही चोलराज तथा इनके आश्रयदाता शडैयप्पर दोनों ने ही इनसे ‘वाल्मीकि-रामायण’ का तमिल भाषा में अनुवाद करने के लिए कहा।

भारत में रामकथा की एक लंबी परंपरा है, जो आदिकवि वाल्मीकि की रामायण से आरंभ होकर अब तक चली आ रही है। वाल्मीकि-रामायण’ संस्कृत साहित्य का प्रथम महाकाव्य है। रामकथा को आधार मानकर केवल संस्कृत में ही नहीं, बल्कि भारत की लगभग सभी भाषाओं में अनेकानेक रामायणों की रचना हुई है। विश्व प्रसिद्ध तुलसीकृत ‘रामचरितमानस’ के अतिरिक्त असमिया में ‘माधव-कदली रामायण’, बँगला में कृमितवासीय रामायण’, उडिया में ‘बलरामदास रामायण’, मराठी में ‘भावार्थ रामायण’ इसी परंपरा की कड़ियाँ हैं।

तमिल प्रदेश में भी राम के अद्भुत कृत्यों से संबंधित कुछ कथाएँ प्राचीन काल से प्रचलित थीं। संगम साहित्य में भी कुछ कथाएँ मिलती हैं। जिनकी कथावस्तु ‘वाल्मीकि-रामायण’ से प्रभावित हैं। किंतु तमिल साहित्य में रामकथा का कीर्तिमान स्थापित करने वाला ग्रंथ कंबन द्वारा रचित ‘कंबरामायण’ ही है। ‘कंबरामायण’ की रचना के पीछे एक आख्यान और भी है।

कहा जाता है कि चोलराज के एक अन्य दरबारी कवि ओत्तकूतर कंबन के समकालीन थे। वे अलंकार शास्त्र और छंद-विधान के प्रकांड पंडित थे। अपने ज्ञान के अलंकार में वे दूसरों के काव्य-दोषों की कटु आलोचना करते थे और अपने समक्ष अन्य कवियों को तुच्छ मानते थे।

एक दिन चोलराज कुलोत्तुंगन ने ओत्तकूतर और कंबन दोनों से ही राम की पौराणिक कथा पर काव्य रचने के लिए कहा। ओत्तकूतर शब्दकोश लेकर तुरंत ही इस कार्य में बड़ी तत्परता से जुट गए। किंतु कंबन ने कोई शीघ्रता नहीं दिखाई, मानो इस संबंध में उन्हें कोई चिंता ही नहीं थी। कुछ दिन बाद चोलराज ने दोनों कवियों को बुलाकर उनके कार्य की प्रगति के बारे में जानना चाहा।

कंबन ने उत्तर दिया कि वे छठे सर्ग तक आ गए हैं और वानर सेना द्वारा सेतु-निर्माण के बारे में लिख रहे हैं। ओत्तकूतर जानते थे की कंबन ने अभी प्रथम सर्ग भी लिखना शुरू नहीं किया है। राजा के सम्मुख कंबन की पोल खोलने के लिए ओत्तकूतर ने उनसे सेतु-निर्माण के बारे में लिखे गए किसी गीत को सुनाने के लिए कहा। कंबन ने सहज ही उस सर्ग का एक गीत सुनाना शुरु कर दिया। उस गीत में सागर में फेंके पत्थरों से उछलती बूंदों का उल्लेख था।

61. उपरोक्त गद्यांश को सार्थक शीर्षक चुनिए :
(A) दक्षिण भारत का अलंकार – कंबन
(B) रामायण
(C) चोल राज
(D) शडैयप्पर

ANS : A

62. ‘ शडैयप्पर ‘ किस गाँव में रहते थे :
(A) दक्षिण भारत
(B) तिरुवेण्णैनल्लूर
(C) ओत्तकूतर
(D) उपरोक्त में कोई नहीं

ANS : B

63. चोलराज ने किसे अपना दरबारी कवि बनाया था :
(A) शडैयप्पर को
(B) तिरुवेण्णैनल्लूर को
(C) कंबन को
(D) तुलसीदास को

ANS : C

64. संस्कृत साहित्य का प्रथम महाकाव्य कौन सा है :
(A) रामायण
(B) कंबन रामायण
(C) कृत्तिवासीय रामायण
(D) वाल्मीकि रामायण

ANS : D

65. तमिल साहित्य में रामकथा का कीर्तिमान स्थापित करने वाला कंबन द्वारा रचित ग्रंथ कौन सा है :
(A) कंबरामायण
(B) बलरामदास रामायण
(C) भावार्थ रामायण
(D) तेलगू रामायण

ANS : A

66. सेतु निर्माण के बारे में लिखे गये गीत में कंबन ने किसका उल्लेख किया है
(A) सागर का
(B) पत्थरों का
(C) बूंदों का
(D) उपरोक्त सभी का

ANS : D

67. निम्नलिखित वाक्य में संज्ञा और सर्वनाम शब्द चुनिए :
       जिनके कारण उनका नाम कंबन पड़ गया।
(A) संज्ञा – कंबन, सर्वनाम – उनका
(B) संज्ञा – जिसके, सर्वनाम – कंबन
(C) संज्ञा – कंबन, सर्वनाम – कारण
(D) उपरोक्त में कोई नहीं

ANS : A

68. चोलराज तथा शडैयप्पर ने कंबन को किस ग्रंथ का तमिल भाषा में अनुवाद करने को कहा ?
(A) वाल्मीकि रामायण
(B) रामचरितमानस
(C) माधव-कदमी रामायण
(D) बलरामदास रामायण

ANS : A

69. कंबन की काव्य प्रतिभा से प्रभावित होकर शडैयप्पर उन्हें किसके दरबार में ले जाने लगे।
(A) शडैयप्पर अपने दरबार में
(B) कंबन शडैयप्पर के दरबार में
(C) चोलराज कुलोत्तुंगन द्वितीय के दरबार में
(D) उपरोक्त में कोई नहीं

ANS : C

70. गुण सन्धि का/के उदाहरण नहीं है :
(A) सुरेन्द्र
(B) परोपकार
(C) महर्षि
(D) उपरोक्त सभी

ANS : D

71. व्यंजन संधि का उदाहरण नहीं है :
(A) दिग्गज
(B) जगन्नाथ
(C) परमौदार्य
(D) सद्गुण

ANS : C

72. निम्न में शुद्ध शब्द नहीं है :
(A) अनुगृहीत
(B) आर्सीवाद
(C) गॅवार
(D) जगद्गुरु

ANS : B

73. निम्न में से ‘अमृत’ के पर्यायवाची शब्द नहीं है
(A) पावक
(B) पीयूष
(C) सुधा
(D) अमिय

ANS : A

74. ‘लौकिक’ का विलोम शब्द है :
(A) अलौकिक
(B) परलौकिक
(C) ऊलोकिक
(D) उपरोक्त में कोई नहीं

ANS : A

75. उपसर्ग, वे लघुत्तम शब्दांश है जो शब्द के ………….. में लगकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं।
(A) अन्त
(B) प्रारम्भ
(C) मध्य
(D) ऊपर

ANS : B

76. धार्मिक, सामाजिक एवं नैतिक में प्रत्यय है
(A) धा
(B) सा
(C) इक
(D) नैति

ANS : C

77. जो सर्वनाम पुरुषवाचक सर्वनाम के अपनेपन का बोध कराता है, वह ……………. सर्वनाम कहलाता है।
(A) अनिश्चयवाचक
(B) प्रश्नवाचक
(C) सम्बन्धवाचक
(D) निजवाचक

ANS : D

78. जिन वाक्यों में कर्ता गौण अथवा लुप्त होता है, उसे ………… कहते हैं।
(A) अकर्तृवाच्य
(B) कर्तृवाच्य
(C) विशेषणवाच्य
(D) उपरोक्त में कोई नहीं

ANS : A

79. लोकोक्ति ‘एक तन्दुरुस्ती हजार नियामत’ का अर्थ है :
(A) मोटा होना
(B) दुबला होना
(C) स्वास्थ्य बहुत बड़ी चीज है
(D) उपरोक्त में कोई नहीं

ANS : C

निर्देश (प्रश्न संख्या 80 से 85): निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए एवं नीचे दिये गये प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए।